Sunday, 2 August 2015

अंतरिक्ष

ब्लैक होल :
इस सुदूर अंतरिक्ष में अनेक आकाश गंगाए हैं | और इन
आकाश गंगाओं में से एक हमारी आकाश गंगा
जिसे हम मिल्कीवे गलेक्सी कहते हैं इसी गलेक्सी
में हमारा सोलर सिस्टम है | इन सभी आकाश
गंगाओं में अनगिनत गृह और तारे पाए जाते हैं कुछ
तारे तो हमारे सूर्य से भी बड़े हैं और ज्वलन शील
भी | लेकिन हम यहाँ तारों की नहीं ब्लैक होल
की बात करेगे | आखिर ब्लैक होल है क्या ?
असल में ब्लैक होले एक मृत तारे का वो अवशेष है
जिसमे अपार गुरुत्वाकर्षण शक्ति पाई जाती है
| वैज्ञानिकों का मानना है की ब्लैक होल में
गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी ज्यादा होती है की
उससे प्रकाश भी नहीं बचता| इस ब्लैक होल के
निकट जो भी गृह नक्षत्र तारा या आकाश
गंगा आती है, वो सब उसमे समां जाती है |
प्रकाश तो प्रकाश यहाँ तक समय का भी इस
ब्लैक होल में कोई अस्तित्व नहीं होता |
क्योंकि ब्लैक होल के आस पास का समय
ब्रम्हांड के बाकि जगह के समय से धीरे बीतता है
| और इसके करीब जैसे जैसे आप जाते जायेंगे वैसे वैसे
वहां समय धीरे होता जायेगा और अंत में इसमें
प्रवेश करते ही समय का अस्तित्व समाप्त हो
जायेगा | स्टीफेन होव्किंस एक उदाहरण देते हुए
बताते हैं की, आप कल्पना करे की एक घडी एक
ब्लैक होल में खिचती चली जा रही है , और जैसे
जैसे वह ब्लैक होल के करीब जा रही है वो घडी
धीरे होती जा रही है , यदि आप कल्पना करे
की घडी उस ब्लैक होल में जाने के बाद भी नष्ट
नहीं हुई तो आप पायेगे की घडी उसके भीतर जा
कर रुक जाएगी तो कहने का तात्पर्य यह है की
समय शुन्य हो जायेगा या समय का कोई
अस्तित्व ही नहीं रह जायेगा यानि ब्लैक होल
एक ऐसी काली गुफा की तरह है जिसमे किसी
चीज़ का अस्तित्व नहीं बचता वह इतना कला
और ताकतवर गुरुत्वाकर्षण वाला है की उसमे
समय और प्रकाश भी नहीं बचता वो भी उसमे
समां जाता है |
वैज्ञानिकों का कहना है की ब्लैक होल
में प्रबल गुरुत्व कर्षण होने के कारण प्रकाश भी
इसकी चपेट में आ जाता है पर मैं इस बात से कुछ
असहमत हूँ | मैं यह मानता हूँ की ब्लैक होल में प्रबल
गुरुत्वाकर्षण होता है पर इस गुरुत्वाकर्षण के
कारण प्रकाश उसकी ओर खिचा चला जाता है
यह मैं नहीं मानता | शायद मैं गलत होऊं पर
भौत्कीय के नियम के अनुसार शायद मैं सही हूँ |
भौत्कीय का नियम कहता है की कोई भी
वास्तु हो वो खाली जगह में ही अपना स्थान
बनती है | तो मैं अँधेरे को खाली जगह मानता हूँ
और प्रकाश को उसको भरने वाला तत्व , मैं इसे
एक उदाहरण से समझाना चाहूँगा , अगर आप एक
खाली गिलास में पानी डाले तो वो भर
जायेगा, पर गिलास को फिर भी आप भरते
जाये तो पानी गिलास के बहार गिरने लगेगा
यानी जहा पानी को खाली जगह मिलेगी
पानी वहा जाये गा यानि गिलास के बहार,
गिलास के बहार खाली जगह है | इसी तरह मैं
अँधेरे और प्रकाश को मानता हूँ | कल रात मैंने ब्लैक
होल बारे में काफी देर विचार किया और एक
निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ | कल रात मेरे शहर में बारिश
हुई और बिजलियाँ भी चमकी मैंने देखा बिजली
घर के बहार दूर आकाश में चमक रही है और उसकी
रौशनी मेरे कमरे तक आ रही है | इससे मैं यही
समझता हूँ की प्रकाश का स्वाभाव ही अँधेरे
की तरफ आकर्षित होना है या यूँ कहे की अँधेरे
का स्वभाव प्रकाश को आकर्षित करना है | मैं
समझता हूँ जिस जगह जितना अधिक अँधेरा
होगा उस जगह प्रकाश स्वतः ही खिचता चला
जायेगा ठीक इसी तरह ब्लैक होल में भी होता
होगा | ब्लैक होल के अन्दर इतना सघन अँधेरा है
जितना की कहीं नहीं होगा | जिसके कारन
प्रकाश ब्लैक होल की ओर खिचता चला जाता
होगा और उस सघन से भी सघन अँधेरे में लुप्त हो
जाता होगा |
वैज्ञानिको का मानना है की एक बड़ा
ब्लैक होल हमारी मिल्किवे के मध्य भी पाया
जाता है | और हम सब एक दिन उस ब्लैक होल में
समां जायेगे पूरी मिल्किवे उसमे विलीन हो
जाएगी पर ये इसका अंत नहीं होगा ये इसकी
पुनः शुरुवात होगी | जिसके विषय में मैं अपने
अगले लेख में लिखूंगा की ब्रम्हांड की रचना कैसे
हुई | क्या वाकई कोई ईश्वर है जिसने इस ब्रम्हांड
की रचना की है ?
by  bhargav joshi

1 comment: