Saturday, 8 August 2015

Dr Ramesh Bhatt

नेपाल में पूर्णा पर्वत के शिखर से माँ अन्नपूर्णा का अवतरण हुआ.भगवान ब्रह्माजी की आज्ञा से माँ अन्नपूर्णा की कृपा से आत्रेय गोत्र का प्रादुर्भाव हुआ जिसके तीन प्रवर आर्चनानस.आर्यास्व और गौतम के वंशज हुए जिसकी कुलदेवी माँ अन्नपूर्णाजी हैं.माँ का आद्यस्थान काशीतीर्थ में है!

हम आत्रेय गोत्र के हैं अत: गुरु दत्तात्रेयजी मुनि दुर्वासाजी और चंद्रदेव के वंशज हैं अत: साधना हमारी समीप है!
हम कच्छी,गुजराती,हिन्दी.अंग्रेजी.सिन्धी व संस्कृत जानते हैं!शिक्षा.अध्यात्म व हकारात्मक चिंतन विषयक ३०पुस्तकें प्रगट हुई हैं!शिक्षा.साहित्य के २२ राष्ट्रीय पुरस्कार भारत सरकार व विभिन्न संस्थाओं द्वारा दीये गये हैं!
ध्यान के माध्यम से हम शुभ विचार प्रेषित करके किसी को भी सात्विक उर्जा प्रदान कर सकते हैं! यह हमारे गुरुदेव की कृपा है!

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