Saturday 30 April 2016

#आध्यात्मिक_कहानी ****पोस्ट विशाल जोषी**** सुख और दुःख जीवन के दो अनिवार्य अंग हैं

रविवार स्पेशल
#आध्यात्मिक_कहानी
****पोस्ट विशाल जोषी****
सुख और दुःख जीवन के दो अनिवार्य अंग हैं जैसे दिन और रात...

जिस प्रकार तेजस्वी सूर्य भी संध्या के समय अस्ताचल की ओर प्रस्थान करता है और धीरे-धीरे रात्रि की कालिमा संपूर्ण पृथ्वी को ढक लेती है, तब प्रकाश के अस्तित्व पर भी संदेह होने लगता है।

परंतु उस घनघोर अंधकार को चीरता हुआ सूर्य फिर से प्रकट होता है और संपूर्ण ओज के साथ और चारों ओर प्रकाश का साम्राज्य फिर से स्थापित हो जाता है।

इसी प्रकार जीवन में सुख और दुःख की उपस्थिति है।

जब सुख का समय होता है तो हम आवेशित हो जाते है, ऐसा प्रतीत होता है मानों हर वस्तु हमारी मुट्ठी में है।
जैसा-जैसा हम चाहेंगे वैसा-वैसा ही होगा, हम स्वयं को अपने और अपने से जुड़े व्यक्तियों के भाग्य का नियंता मानने लगते है और यहीं से दु:ख का आरंभ होने लगता है।

दु:ख जब आता है तो हमारे सारे आवेश, सारे अहंकार को धूल धूसरित कर देता है और हम स्वयं को दीन-हीन, भाग्यहीन, निर्बल अनुभव करने लगते है।

हमें हमेशा ये स्मरण रखना चाहिए कि ये सुख-दुःख निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।
प्रत्येक सुख के बाद दु:ख और प्रत्येक दुख के बाद फिर सुख अवश्यम्भावी है।

इनसे निर्लिप्त रहा जा सकता है और निर्लिप्त रहने का एक ही उपाय है और वो है धैर्य।

धैर्य वो कवच है जिसे धारण करने वाला कभी विचलित नहीं होता।

सम्मान हो या अपमान हो, हर्ष हो या शोक हो, मिलन हो या वियोग हो, लाभ हो या हानि हो, सफलता हो या असफलता हो, कुछ भी स्थायी नहीं है, सब पल भर का स्वप्न मात्र है, अभी नेत्र खुले अभी दृश्य बदला।

सुख में उत्तेजित होना, आवेशित होना, उन्मादित होना या दुख में निराश होना, क्रोधित होना धैर्यवान मनुष्य के लक्षण नहीं है।
परिस्थिति अनुकूल हो या प्रतिकूल मनुष्य को धैर्य नहीं खोना चाहिए।

धैर्य धारण करने वाला मनुष्य हर परिस्थिति का सामना कर सकता है और उसे अपने अनुकूल बनाने की क्षमता रखता है।

इसका सबसे सुगम उपाय है मौन और मुस्कान।
#आध्यात्मिक
तुरंत प्रतिक्रिया से जितना संभव हो सके बचने का प्रयास करना चाहिए।

शब्द अमोघ अस्त्र है, शब्द रूपी बाण अगर एक बार मुख से निकल गए तो फिर उन्हें रोकने का कोई उपाय नहीं।
ये अपना लक्ष्य-भेदन करने से पूर्व रूकेंगे नहीं और शब्दों द्वारा की गई हानि की भरपाई अत्यंत कठिन है।

दूसरी ओर मुस्कुराहट दुःख को आधा और सुख को दोगुना करने की क्षमता रखती है।

इसलिए दुख हो या सुख हर क्षण का मुस्कुरा कर स्वागत कीजिए और बहुत सोच-समझकर बोलिए।

मेरी कश्मीर यात्रा की याद १

Friday 29 April 2016

...एक रहस्य मृत्यु एक ऐसा सच जो कोई नहीं बदल पाता। विशाल बालाजी संकलित कहानी

मृत्यु
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भगवान विष्णु गरुड़ पर बैठ कर कैलाश पर्वत पर गए।द्वार पर गरुड़ को छोड़ कर खुद शिव से मिलने अंदर चले गए। तब कैलाश की अपूर्व प्राकृतिक शोभा
को देख कर गरुड़ मंत्रमुग्ध थे कि तभी उनकी नजर एक खूबसूरत छोटी सी चिड़िया पर पड़ी।
चिड़िया कुछ इतनी सुंदर थी कि गरुड़ के सारे विचार उसकी तरफ आकर्षित होने लगे। उसी समय कैलाश पर यम देव पधारे और अंदर जाने से पहले उन्होंने उस छोटे से पक्षी को आश्चर्य की द्रष्टि से देखा। गरुड़ समझ गए उस चिड़िया का अंत निकट है और यमदेव कैलाश से निकलते ही उसे अपने साथ यमलोक ले जाएँगे।
गरूड़ को दया आ गई। इतनी छोटी और सुंदर चिड़िया को मरता हुआ नहीं देख सकते थे। उसे अपने पंजों में दबाया और कैलाश से हजारो कोश दूर एक जंगल में एक चट्टान के ऊपर छोड़ दिया, और खुद बापिस कैलाश पर आ गया।
आखिर जब यम बाहर आए तो गरुड़ ने पूछ ही लिया कि उन्होंने उस चिड़िया को इतनी आश्चर्य भरी नजर से क्यों देखा था। यम देव बोले "गरुड़ जब मैंने उस चिड़िया को देखा तो मुझे ज्ञात हुआ कि वो चिड़िया कुछ ही पल बाद यहाँ से हजारों कोस दूर एक नाग द्वारा खा ली जाएगी। मैं सोच रहा था कि वो इतनी जलदी इतनी दूर कैसे जाएगी, पर अब जब वो यहाँ नहीं है तो निश्चित  ही वो मर चुकी होगी।"
गरुड़ समझ गये "मृत्यु टाले नहीं टलती.... चाहे कितनी भी चतुराई की जाए।"

Thursday 28 April 2016

Ujjen mahakumbh 2016 album

सिंहस्थ महाकुंभ २०१६ ऊजेनयम की जाखी विशाल जोषी के नजर से

Wednesday 27 April 2016

मौन की सक्ति और जाने की आप हे कौन??? अपरिचित साहित्य विशाल जोषी संकलित

मौन से जानो तुम हो कौन
एक बार एक मछलीमार अपना काँटा डाले ताल ाब के किनारे बैठा था। काफी समय बाद भी कोई मछली उसके काँटे में नहीं फँसी थी। उसने सोचा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि मैने काँटा गलत जगह डाला हो और यहाँ कोई मछली ही न हो। उसने तालाब में झाँका तो देखा कि उसके काँटे के आसपास बहुत-सी मछलियाँ थीं। उसे बहुत आश्चर्य हुआ कि इतनी सारी मछलियाँ होने के बाद भी कोई मछली फँसी क्यों नहीं जबकि काँटे में दाना भी लगा है। क्या कारण हो सकता है?
वह ऐसा सोच ही रहा था कि एक राहगीर ने उससे कहा-लगता है भैया यहाँ पर मछली मारने बहुत दिनों बाद आए हो। इस तालाब की मछलियाँ अब काँटे में नहीं फँसती। इस पर उसने हैरत से पूछा- क्यों, ऐसा क्या हुआ है यहाँ? राहगीर बोला- पिछले दिनों तालाब के किनारे एक बहुत बड़े संत आकर ठहरे थे। उन्होने यहां "मौन की महत्ता' पर प्रवचन दिए थे। उनकी वाणी में इतना तेज़ था कि जब वे प्रवचन देते तो सारी मछलियाँ बड़े ध्यान से सुनतीं। यह उनके प्रवचनों का ही असर है कि उसके बाद जब भी कोई इन्हें फँसाने के लिए काँटा डालकर बैठता है तो ये "मौन' धारण कर लेती हैं। जब मछली मुँह खोलेगी ही नहीं तो काँटे में फँसेगी कैसे? इसलिए बेहतर यहीं है कि आप कहीं और जाकर काँटा डालो। उसकी बात मछलीमार की समझ में आ गई और वह वहां से चला गया।
कितनी सही बात है यह, जब मुँह खोलोगे ही नहीं तो फँसोगे कैसे? यह बात मछलियों की तरह उन व्यक्तियों को भी समझ लेनी चाहिए जो अपनी बकबक करने की आदत के चलते स्थान और समय का ध्यान रखे बिना अपना मुँह खोलकर मुसीबत में फँस जाते हैं। गलाकाट प्रतियोगिता के इस युग में इस बात का महत्व उस समय और बढ़ जाता है जब न जाने कौन अपना काँटा डाले आपको फँसाने के चक्कर में हो। जैसे ही आपने मुँह खोला, आप फँसे।
ऐसी स्थितियों से बचने के लिए ज़रूरी है कि हम मौन का अभ्यास करें। धीरे-धीरे अभ्यास से हम सीख जाएं । 
मानते हो तो जरूर लिखे
जय बालाजी

संस्कृत भाषा के बारे में रोचक तथ्य By परिमल ठाकर द्वारका

संस्कृत के बारे में ये 20 तथ्य जान कर आपको भारतीय होने पर गर्व होगा

संस्कृत भाषा के बारे में रोचक तथ्य

किसी मंदिर या गुरुकुल के पास से गुजरते हुए आपने संस्कृत के श्लोक या मंत्र तो अवश्य ही सुने होंगे. इन मन्त्रों और श्लोकों से बचपन में ही हमारा रिश्ता टूट चुका है पर फिर भी आज ये श्लोक कभी-कभी सुनाई दे ही जाते हैं. संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है लेकिन वर्तमान में विलुप्त होने की कगार पर है..

2001 में संस्कृत बोलने वाले लोगो की संख्या सिर्फ14135 थी।

दुनिया जहाँ संस्कृत की महिमा समझकर संस्कृत सीखना चाह रही है स्कूल कॉलेज यूनिवर्सिटीज के पाठ्यक्रम में संस्कृत को जोड़ा जा रहा है वही भारत इस दिशा में कोई खास कदम नही उठा रहा है।

आज हम आपको संस्कृत के बारे में कुछ ऐसे तथ्य बता रहे हैं, जो किसी भी भारतीय का सर गर्व से ऊंचा कर देंगे

.1. संस्कृत को सभी भाषाओं की जननी माना जाता है।

2. संस्कृत उत्तराखंड की आधिकारिक भाषा है।

3. अरब लोगो की दखलंदाजी से पहले संस्कृत भारत की राष्ट्रीय भाषा थी।

4. NASA के मुताबिक, संस्कृत धरती पर बोली जाने वाली सबसे स्पष्ट भाषा है।

5. संस्कृत में दुनिया की किसी भी भाषा से ज्यादा शब्द है वर्तमान में संस्कृत के शब्दकोष में 102 अरब 78 करोड़ 50 लाख शब्द है।

6. संस्कृत किसी भी विषय के लिए एक अद्भुत खजाना है। जैसे हाथी के लिए ही संस्कृत में 100 से ज्यादा शब्द है।

7. NASA के पास संस्कृत में ताड़पत्रो पर लिखी 60,000 पांडुलिपियां है जिन पर नासा रिसर्च कर रहा है।

8. फ़ोबर्स मैगज़ीन ने जुलाई,1987 में संस्कृत को Computer Software के लिए सबसे बेहतर भाषा माना था।

9. किसी और भाषा के मुकाबले संस्कृत में सबसे कम शब्दो में वाक्य पूरा हो जाता है।

10. संस्कृत दुनिया की अकेली ऐसी भाषा है जिसे बोलने में जीभ की सभी मांसपेशियो का इस्तेमाल होता है।

11. अमेरिकन हिंदु युनिवर्सिटी के अनुसार संस्कृत में बात करने वाला मनुष्य बीपी, मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल आदि रोग से मुक्त हो जाएगा. संस्कृत में बात करने से मानव शरीरका तंत्रिका तंत्र सक्रिय रहता है जिससे कि व्यक्ति का शरीर सकारात्मक आवेश(PositiveCharges) के साथ सक्रिय हो जाता है।

12. संस्कृत स्पीच थेरेपी में भी मददगार है यह एकाग्रता को बढ़ाती है।

13. कर्नाटक के मुत्तुर गांव के लोग केवल संस्कृत में ही बात करते है।

14. सुधर्मा संस्कृत का पहला अखबार था, जो 1970 में शुरू हुआ था। आज भी इसका ऑनलाइन संस्करण उपलब्ध है।

15. जर्मनी में बड़ी संख्या में संस्कृतभाषियो की मांग है। जर्मनी की 14 यूनिवर्सिटीज़ में संस्कृत पढ़ाई जाती है।

16. नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार जब वो अंतरिक्ष ट्रैवलर्स को मैसेज भेजते थे तोउनके वाक्य उलट हो जाते थे. इस वजह से मैसेज का अर्थ ही बदल जाता था. उन्होंले कई भाषाओं का प्रयोग किया लेकिन हर बार यही समस्या आई. आखिर में उन्होंने संस्कृत में मैसेज भेजा क्योंकि संस्कृत के वाक्य उल्टे हो जाने पर भी अपना अर्थ नही बदलते हैं।
जैसे

अहम् विद्यालयं गच्छति।
विद्यालयं गच्छति अहम्।
गच्छति अहम् विद्यालयं ।

उक्त तीनो के अर्थ में कोई अंतर नहीं है।

17. आपको जानकर हैरानी होगी कि Computer द्वारा गणित के सवालो को हल करने वाली विधि यानि Algorithms संस्कृत में बने है ना कि अंग्रेजी में।

18. नासा के वैज्ञानिको द्वारा बनाए जा रहे 6th और 7th जेनरेशन Super Computers संस्कृतभाषा पर आधारित होंगे जो 2034 तक बनकर तैयार हो जाएंगे।

19. संस्कृत सीखने से दिमाग तेज हो जाता है और याद करने की शक्ति बढ़ जाती है। इसलिए London और Ireland के कई स्कूलो में संस्कृत को Compulsory Subject बना दिया है।

20. इस समय दुनिया के 17 से ज्यादा देशो की कम से कम एक University में तकनीकी शिक्षा के कोर्सेस में संस्कृत पढ़ाई जाती है।

Monday 25 April 2016

तिरूपति बालाजी से जुड़ी रहस्यकथा

तिरूपति बालाजी से जुड़ी इन रहस्यकथाओं को

भारत के प्राचीनतम मंदिरों में एक भगवान तिरूपति के मंदिर को सात पहाड़ियों का मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर में भगवान विष्णु जिन्हें दक्षिण में श्रीनिवास या बालाजी या वेंकटाचालपैथी कहा जाता है, की आराधना की जाती है। इस मंदिर के बारे में कई दंत कथाएं तथा रहस्यकथाएं प्रचलित हैं। आइए जानते हैं तिरूपति मंदिर से जुड़ी कुछ रहस्यमयी बातें-

तिरूपति मंदिर के मुख्य गर्भगृह तक जाने की अनुमति कुछ ही लोगों को है। मंदिर से लगभग 23 किलोमीटर दूर एक गांव है। केवल इस गांव के निवासी ही मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कर सकते हैं तथा इसी गांव से भगवान के लिए फल, फूल, प्रसाद, भोग आदि आता है।

प्रतिमा के पीछे का हिस्सा सदैव नम रहता है। अगर यहां पर ध्यान लगाकर आवाज सुनी जाएं तो सागर में उठती लहरों की आवाज स्पष्ट रूप से सुनाई देती हैं।

भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा का तापमान सदैव 110 फारेनहाईट रहता है, जबकि प्रतिमा को यथासमय स्नान, चंदन लेप आदि किया जाता है। यही नहीं प्रतिमा को पसीना भी आता है, जिसे पुजारी समय-समय पर पौंछते रहते हैं।

भगवान की प्रतिमा पर चढ़ाएं गए सभी फूलों तथा तुलसी पत्रों को भक्तों में नहीं बांटकर मंदिर परिसर के पीछे बने एक कुएं में फेंक दिया जाता है। यही नहीं, इन पुष्पों तथा तुलसी के पत्तों को वापस मुड़कर देखा भी नहीं जाता है।

स्वामी वेंकटेश्वर भगवान को पचाई कर्पूरम चढ़ाया जाता है जो किसी साधारण पत्थर पर चढ़ाने पर तुरंत ही चटक जाता है लेकिन प्रतिमा पर इसका कोई असर नहीं होता है।

मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की प्रतिमा पर लगे हुए बाल असली है। कहा जाता है कि ये बाल बहुत ही मुलायम है तथा कभी उलझते या झड़ते नहीं हैं।

Monday 18 April 2016

गूगल आरती "विशाल बालाजी की नई रचना"

जय हो गूगल बाबा की जय होजो पूछो झट से बतलातेखुद में पूरा ब्रमांड बसातेडक्टर हो या इंजीनियरसबको हैं यह राह दिखातेसबसे ज्यादा युवा वर्ग को भातेक्योंकि इनके बिषयों कोझट से ये जो हल कर जातेजय हो गूगल बाबा की जय हो .गूगल बाबा के रूप भी अन्नतइनका जीमेल सबका चहेतायुवाओं में ऑरकुट का बोलताऑफिसर का ओनलाइन खातालेखक और कवि को ब्लॉग्स खूब भाताफोटो एलबम के लिए है पिकासाहिंदी को इंगलिश में लिखनाया हो कोई और भाषागूगल का है अपनाये ट्रांसलेसन कहलातागूगल बाबा के हैं और भी कई रूपकंप्यूटर नहीं हो मोबाइल में भी रहतेउलझन को क्षण में खत्म करतेघर बैठे अपने “अर्थ” सेदुनिया की ये सैर करातेनई नई तकनीकों कोअपने पास हैं लातेअब तो फ्री में गूगल बाबामोबाइल पर बात भी करातेजय हो गूगल बाबा की जय हो........

Friday 15 April 2016

गायत्री मंत्र क्यों और कब ज़रूरी है??? Vishal balaji

गायत्री मंत्र क्यों और कब ज़रूरी है
☀सुबह उठते वक़्त 8 बार ❕✋✌👆❕अष्ट कर्मों को जीतने के लिए !!

🍚🍜 भोजन के समय 1 बार❕👆❕ अमृत समान भोजन प्राप्त होने के लिए  !!                        

🚶 बाहर जाते समय 3 बार ❕✌👆❕समृद्धि सफलता और सिद्धि के लिए    !!  

👏 मन्दिर में 12 बार ❕👐✌❕
प्रभु के गुणों को याद करने के लिए !!      

😢छींक आए तब गायत्री मंत्र  उच्चारण ☝1 बार  अमंगल दूर करने के लिए !!
                                        
सोते समय 🌙 7 बार  ❕✋✌ ❕सात प्रकार के भय दूर करने के लिए !!                                

कृपया सभी बन्धुओं को प्रेषित करें 👏👏  !!!

ॐ , ओउम् तीन अक्षरों से बना है।
अ उ म् ।
"अ" का अर्थ है उत्पन्न होना,

"उ" का तात्पर्य है उठना, उड़ना अर्थात् विकास,

"म" का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् "ब्रह्मलीन" हो जाना।

ॐ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और पूरी सृष्टि का द्योतक है।

ॐ का उच्चारण शारीरिक लाभ प्रदान करता है।

जानीए

ॐ कैसे है स्वास्थ्यवर्द्धक
और
अपनाएं आरोग्य के लिए ॐ के उच्चारण का मार्ग...

1. ॐ और थायराॅयडः-
ॐ का उच्‍चारण करने से गले में कंपन पैदा होती है जो थायरायड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

2. ॐ और घबराहटः-
अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ॐ के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं।

3. ॐ और तनावः-
यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है।

4. ॐ और खून का प्रवाहः-
यह हृदय और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है।

5. ॐ और पाचनः-
ॐ के उच्चारण से पाचन शक्ति तेज़ होती है।

6. ॐ लाए स्फूर्तिः-
इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है।

7. ॐ और थकान:-
थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।

8. ॐ और नींदः-
नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है। रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चिंत नींद आएगी।

9. ॐ और फेफड़े:-
कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मज़बूती आती है।

10. ॐ और रीढ़ की हड्डी:-
ॐ के पहले शब्‍द का उच्‍चारण करने से कंपन पैदा होती है। इन कंपन से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है।

11. ॐ दूर करे तनावः-
ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है।

आशा है आप अब कुछ समय जरुर ॐ का उच्चारण  करेंगे। साथ ही साथ इसे उन लोगों तक भी जरूर पहुंचायेगे जिनकी आपको फिक्र है
"पहला सुख निरोगी काया"