Friday, 31 July 2015

प्रत्यक्ष गुरु का क्या महत्व है ?

प्रश्नकर्ता : जो महानपुरुष हो गए है हज़ारों
साल पहले , उन्हें हम समर्पण करें, तो वह समर्पण
किया कहलाएगा? अथवा उससे अपना विकास
होगा क्या? या प्रत्यक्ष महापुरुष ही
चाहिए?
दादाश्री : परोक्ष से भी विकास होता है और
प्रत्यक्ष मिलें तब तो कल्याण ही हो जाता है।
परोक्ष, विकास का फल देता है और प्रत्यक्ष के
बिना कल्याण नहीं होता।
समपर्ण करने के बाद हमें कुछ भी करना नहीं
होता। अपने यहाँ बालक जन्मे तो बालक को
कुछ भी करना नहीं होता, उसी तरह समर्पण करने
के बाद हमें कुछ भी नहीं करना होता है।
आप जिसे बुद्धि समर्पण करो, उनमें जो शक्ति हो
वह आपको प्राप्त हो जाती है। समर्पण किया
और उनका सब हमें प्राप्त हो जाता है। जैसे एक
टंकी के साथ दूसरी टंकी को ज़रा पाईप से
जोइन्ट करें न, तो एक टंकी में चाहे जितना माल
भरा हुआ हो, लेकिन दूसरी टंकी में उतना ही
लेवल आ जाता है। समर्पण भाव उसके जैसा
कहलाता है।
जिनका मोक्ष हो गया हो, जो खुद मोक्ष का
दान देने निकले हों, वही मोक्ष दे सकते हैं। वैसे हम
मोक्ष का दान देने निकले हैं। हम मोक्ष का दान
दे सकते हैं। वर्ना कोई मोक्ष का दान नहीं दे
सकता।

2 comments:

  1. Wah sars jankari chhe jay ho

    ReplyDelete
  2. Bin mange moti mile
    Mange mile na bhikh
    Bhavsagar kese par karna
    Vo tu sadguru se sijh
    Jai Gurudev

    ReplyDelete