कलियुग मे जीवन का उद्देश्य १ "धन"
प्रश्नः धन, संपत्ति एवं वैभव प्राप्त करने हेतु
ज्योतिष ए वास्तु एवं तंत्र.मंत्र के अनुभूत एवं
कारगर धन लक्ष्मी प्राप्ति के टोटकों का
विस्तारपूर्वक वर्णन करें?
संसार का प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह किसी
भी जातिए धर्म व संप्रदाय का क्यों न हो,
‘धनवान बनने एवं वैभवशाली जीवन व्यतीत
करने की प्रबल इच्छा उसके हृदय में
प्रतिपल.प्रतिक्षण विद्यमान रहती है।
वेद.पुराण व शास्त्रों में चार पुरूषार्थ कहे गये
हैं. ‘धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष’। धर्म को अर्थ खा
गया, काम अर्थ में विलोपित हो गया।
मोक्ष की किसी को इच्छा नहीं है। अतः
ले.देकर केवल ‘अर्थ ही रह गया जिस पर गरीब,
अमीर, रोगी, भोगी और योगी का भी
ध्यान केन्द्रित है। ’
यहां यह बताना आवश्यक है कि धन लक्ष्मी
प्राप्ति के टोटकों का प्रयोग क्यों किया
जाए। वास्तव में हर व्यक्ति की इच्छा होती
है कि वह अधिक से अधिक धनार्जन करें। परंतु धन
का जमा होना तो ‘माता महालक्ष्मी’ को
प्रसन्न करके ही किया जा सकता है। माता
लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए वैदिक,
मांत्रिक, यांत्रिक अनुष्ठान अत्यधिक
खर्चीले होते हैं और समय भी अधिक लगता है
जो करना हर व्यक्ति के लिए संभव नहीं।
फलस्वरूप धन प्राप्ति के लिए अंधी दौड़ लगाने
के पश्चात भी निराशा का सामना करना
पड़ता है। एतदर्थ आधुनिक परिस्थितियों में
धन लक्ष्मी प्राप्ति के टोटकों का सरल एवं
सुगम प्रयोग सभी के लिए कल्याणकारी है।
जड़ी-बूटियों द्वारा धन प्राप्ति के अति
सरल और चमत्कारिक उपाय
लंकाधिपति रावण कहता है- हे प्रिय
मन्दोदरी ! जगजननी माता पार्वती ने जिन
जड़ी-बूटियों के कल्प की महिमा के संबंध में
मुझे बताया है, वह तुम्हें बतलाता हूं,
ध्यानपूर्वक श्रवण करना। सर्व प्रथम उन जड़ी-
बूटियों के गुण बताता हूं, जो धन प्राप्त करने
में परम लाभदायक हैं।
1. ‘‘भरणी नक्षत्र’’ में ‘‘कुश’’ का बांदा लाकर
अपने घर के पूजा स्थल में लाल कपड़े में लपेट कर
रखने से आर्थिक समस्या दूर हो जाती है।
2. ‘‘मृगशिरा नक्षत्र’’ में ‘‘केले’’ के पत्ते का एक
छोटा सा टुकड़ा पीले कपड़े में लपेटकर ताबीज
की तरह बनाकर पीले धागे में गले या दायीं
बाजू में धारण करने से धन प्राप्ति के अवसर
प्राप्त होते हैं साथ ही मान-सम्मान और
यश-प्रतिष्ठा में भरपूर वृद्धि होती है।
3. ‘‘पुष्य नक्षत्र’’ में रविवार के दिन
‘श्वेतार्क’’ (सफेद अकौआ) की जड़ विधिपूर्वक
लाकर सफेद वस्त्र में लपेटकर दाहिनी भुजा में
धारण करने से धन प्राप्ति के अवसर प्राप्त होते
हैं।
4. ‘‘अश्लेषा नक्षत्र’’ में ‘‘बरगद’’ (वटवृक्ष) का
पत्ता लाकर लाल वस्त्र में लपेट कर तिजोरी,
कैश बाॅक्स या रूपये-पैसे रखने के स्थान पर रखने
से धन घर में भरा रहता है और खजाना कभी
खाली नहीं होता। इसे अन्न के स्थान में रखने
से घर में अन्न की कमी कभी नहीं होती है।
5. ‘‘मघा नक्षत्र’’ में ‘‘पारिजात’’ (हर शृंगार)
का बांदा लाकर पीले वस्त्र में लपेटकर पूजा
स्थल पर रखने से धन का लाभ होता है।
6. ‘‘शतभिषा नक्षत्र’’ में लाल रंग की
‘‘घुंघची’’ (रत्ती जिससे स्वर्णकार स्वर्ण की
तौल करते हैं) की जड़ लाकर लाल वस्त्र में रखकर
गले या दायीं बाजू में धारण करने से धन-वृद्धि
के साथ समस्त कार्यों में भी सफलता प्राप्त
होती है।
7. ‘‘सूर्य या चंद्र ग्रहण’’ के समय ‘‘शंखपुष्पी’’
की जड़ लाकर घर के पूजा स्थल पर रखने से धन में
पूर्ण वृद्धि होती है तथा धन प्राप्ति के अवसर
भी प्राप्त होते हैं।
8. माता महालक्ष्मी के चित्र या प्रतिमा
पर 41 दिन तक आंवला फल प्रसाद रूप में चढ़ायें
तथा लगातार 41 दिन तक आंवलावृक्ष की जड़
में जल चढ़ायें।
9. ‘‘पीपल वृक्ष’’ की जड़ में प्रतिदिन दूध, शक्कर
या गुड़ मिश्रित जल चढ़ाएं।
10. ‘‘सहदेवी पौधे की जड़’’ को किसी भी शुभ
मुहूर्त में लाकर लाल वस्त्र में लपेट कर गले या
बाजू में धारण करने से दरिद्रता का नाश
होता है तथा तांत्रिक बाधाएं भी दूर
होती हैं और धन की प्राप्ति होती है।
11. सोमवार के दिन ‘‘एकाक्षी नारियल’’ घर
के पूजा स्थल पर स्थापित करने से धन प्राप्ति
के रास्ते खुलते हैं।
12. ‘‘निर्गुण्डी की जड़’’ पीली सरसों के साथ
पीले वस्त्र में बांधकर दुकान या व्यवसाय
स्थल पर लटकाने से व्यवसाय में चमत्कारिक
सफलता प्राप्त होती है।
13. ‘‘तुलसी’’ का पौधा घर में लगाकर
प्रतिदिन प्रातः स्नानादि कर उस पर जल
चढ़ायें तथा सुगंधित धूप जलायें तथा शाम को
भी शुद्ध होकर घी का दीपक जलाकर धूप
जलाएं।
14. अशोक, अनार, आम, गूलर, पीपल, बरगद
आदि वृक्षों में किसी का बांदा शुभमुहूर्त में
लाकर धन स्थान में रखने से धन की वृद्धि
होती है।
15. जिस वृक्ष पर चमगादड़ों का स्थाई
निवास हो उस वृक्ष की एक छोटी सी टहनी
रविवार को तोड़कर कपड़े में लपेटकर अपने
व्यवसाय की गद्दी के नीचे रखें या कुर्सी से
बांध दें तो धन के साथ-साथ व्यवसाय में
वृद्धि होगी।
16. हरिद्रा अर्थात् हल्दी कई प्रकार की
होती है। एक हल्दी खाने के काम आती है व
चोट लगने तथा औषधीय रूप में प्रयोग होती
है। ये सभी पीले रंग की होती हैं और
पवित्रता का तत्व सभी में होता है। इन्हीं
हल्दियों में से काली हल्दी भी प्राप्त
होती है। यह अगर किसी को प्राप्त हो
जाये तो समझना चाहिए कि लक्ष्मी प्राप्त
करने का एक श्रेष्ठ देवी साधन प्राप्त हो गय है
17. दूर्वा अर्थात् दूब। यह एक प्रकार की घास
होती है। श्री गणेश भगवान को यह अत्यंत
प्रिय है। कोई भी व्यक्ति इस उपाय को शुक्ल
पक्ष के प्रथम बुधवार से प्रारंभ कर सकता है।
प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर श्री
गणेश जी के चित्र या प्रतिमा के समक्ष धूप-
दीप जलाकर गुड़ का भोग लगायें और 108
दूर्वादल श्री गणेश जी के चरणों में अर्पित करें।
यह क्रिया 41 दिन लगातार करें। इसके
पश्चात धन उपार्जन के कार्य हेतु कहीं जायें
तो चित्र या प्रतिमा पर अर्पित दूर्वादलों
में से 9 दूर्वादल प्रसाद स्वरूप लाल वस्त्र में
लपेटकर अपनी जेब में रख लें। यह उपाय
धनोपार्जन एवं कार्य सिद्धि की अद्भुत एवं
चमत्कारिक कुंजी है।
18. पीपल के पŸो पर ‘‘राम’’ लिखकर उस पर
कोई मिष्टान्न रखकर श्रीहनुमान मंदिर में
चढ़ाने से धन लाभ होता है।
19. किसी भी मास के प्रथम शुक्रवार को
लाल कमल का पुष्प लाकर कुमकुम से तिलक
लगाकर लाल वस्त्र के ऊपर रखकर धूप-दीप
दिखाकर उसी वस्त्र में लपेटकर धन स्थान पर
रखने से धन वृद्धि होती है।
20. ‘‘अशोक वृक्ष’’ की जड़ का टुकड़ा लाकर
पूजा स्थल में रखकर नित्य धूप-दीप करने से धन
सम्पत्ति की प्रचुरता रहती है।
राजेन्द्र जोशी अबोटी
Aaj ke is fast life me koi kisi ka nahi sochta rajan ji aapne bahot prena dai kam kiya he dhanyavad sadev itna badiya gyan share karte rahe dwarikadhishji ki anukampa ap par bani rahe
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