सावधान !!
कभी भी वेदवेत्ता ब्राह्मणों का अपमान् न करें , कभी भी उन्हें दोषदृष्टि से नहीं देखें , मन से भी उनके विरूद्ध न विचार करें । क्योंकि इस पृथ्वी पर साक्षात् भगवान् विष्णु इनके ही रूप में विचरण कर रहें हैं ।
इनके ब्राह्मतेज से तो तेज के अधिष्ठान अग्नि को भी कष्ट में पडना पडा , जिनके तेज से अथाह गंभीर महार्णव समुद्र को भी खारा हो जाना पडा , उनके ही रूप से द्वेष करके कहाँ जाओगे ।
ब्राह्मणों का ये ही मर्यादा है कि अपने से कोई भी श्रेष्ठ विद्या , तप , या वयोवृद्ध हो , उसको सम्मान दे । और अपनेे को उनके समक्ष अतिन्यून समझें ।
ये ब्राह्मणों के साथ ब्राह्मणों की मर्यादा है । अन्य वर्णों का तो कहना ही नहीं है ।
जो ब्राह्मण व्रत और तपस्या से अपनेे शरीर को तपाते हैं , वेदाध्ययन करते हैं , संतोषवृत्ति से प्राय: रहना चाहते हैं , उनसे द्वेष , हा धिक् ॥
ब्राह्मण चाहे दुर्वासा के जैसे हों या वशिष्ठ सदृश ,देवगुरू बृहस्पति के जैसे हों या जडभरत जैसा , सर्वदा ब्रह्म के पर्याय हैं ।
॥ ॐ तत्सत् ब्रम्हार्पणमस्तु ।।
Saturday, 19 August 2017
सनातन धर्म को जाने क्या हे ब्राम्हण
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