Monday, 11 July 2016

गुप्त नवरात्री का अनुष्ठान एवम् महात्मय मेरी माताजी द्वारा मेरे घर के मंदिर में किया जारहा हे गुप्त अनुष्ठान -विशाल जोषी

आषाढ़और माघ माह के नवरात्रों को ‘गुप्त नवरात्र’ कहा जाता है। इसका ज्ञान बहुत ही सजग शक्ति उपासकों तक सीमित रहता है, इसीलिए इसे ‘गुप्त नवरात्र’ कहा जाता है। गुप्त नवरात्र का माहात्म्य और साधना का विधान ‘देवी भागवत’ व अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। गुप्त नवरात्र भी ‘शारदीय’ और ‘वासंतिक’ नवरात्रों की तरह फलदायी होते हैं। श्रृंगी ऋ षि ने गुप्त नवरात्रों के महत्त्व को बताते हुए कहा है कि ‘जिस प्रकार वासंतिक नवरात्र में भगवान विष्णु की पूजा और शारदीय नवरात्रमें मां शक्ति की नौ विग्रहों की पूजा की प्रधानता रहती है, उसी प्रकार गुप्त नवरात्र दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रों से एक प्राचीन कथा जुड़ी हुई है। एक समय ऋषि श्रृंगी भक्त जनों को दर्शन दे रहे थे। अचानक भीड़ से एक स्त्री निकल कर आई,और करबद्ध होकर ऋषि श्रृंगी से बोली कि मेरे पति दुर्व्यसनों से सदा घिरे रहते हैं,जिस कारण मैं कोई पूजा-पाठ नहीं कर पाती। धर्म और भक्ति से जुड़े पवित्र कार्यों का संपादन भी नहीं कर पाती। यहां तक कि ऋषियों को उनके हिस्से का अन्न भी समर्पितनहीं कर पाती। मेरा पति मांसाहारी हैं,जुआरी है,लेकिन मैं मां दुर्गा कि सेवा करना चाहती हूं,उनकी भक्ति साधना से जीवन को पति सहित सफल बनाना चाहती हूं। ऋषि श्रृंगी महिला के भक्तिभाव से बहुत प्रभावित हुए। ऋषि ने उस स्त्री को आदरपूर्वक उपाय बताते हुए कहा कि वासंतिक और शारदीय नवरात्रों से तोआम जनमानस परिचित है लेकिनइसके अतिरिक्त दो नवरात्र और भी होते हैं, जिन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। प्रकट नवरात्रों में नौ देवियों की उपासना हातीहै और गुप्त नवरात्रों मेंदस महाविद्याओं की साधना की जाती है। इन नवरात्रों की प्रमुख देवी स्वरुप का नाम सर्वैश्वर्यकारिणी  देवी है। यदि इन गुप्त नवरात्रों में कोई भी भक्तमाता दुर्गा की पूजा साधनाकरता है तो मां उसके जीवन को सफल कर देती हैं। लोभी, कामी, व्यसनी, मांसाहारी अथवा पूजा पाठ न कर सकने वाला भी यदि गुप्त नवरात्रों में माता की पूजा करता है तो उसे जीवन में कुछ और करने की आवश्यकता ही नहीं रहती। उसस्त्री ने ऋ षि श्रृंगी के वचनों पर पूर्ण श्रद्धा करते हुए  गुप्त नवरात्र की पूजा की। मां प्रसन्न हुई और उसके जीवन में परिवर्तन आने लगा, घर में सुख शांति आ गई। पति सन्मार्ग पर आ गया,और जीवन माता की कृपा से खिल उठा।यदि आप भी एक या कई तरह के दुर्व्यसनों से ग्रस्त हैं और आपकी इच्छा है कि माता की कृपा से जीवन में सुख समृद्धि आए तो गुप्त नवरात्र की साधना अवश्य करें। तंत्र और शाक्त मतावलंबी साधना के दृष्टि से गुप्त नवरात्रों के कालखंड को बहुत सिद्धिदायी मानते हैं। मां वैष्णो देवी, पराम्बा देवी और कामाख्या देवी का का अहम् पर्व माना जाता है। पाकिस्तान स्थित हिंगलाज देवी की सिद्धि केलिए भी इस समय को महत्त्वपूर्ण माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार दस महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए ऋषि विश्वामित्र और ऋषि वशिष्ठ ने बहुत प्रयास किएलेकिन उनके हाथ सिद्धि नहीं लगी। वृहद काल गणना और ध्यान की स्थिति में उन्हें यह ज्ञान हुआ कि केवल गुप्त नवरात्रों में शक्ति के इन स्वरूपों को सिद्ध किया जा सकता है। गुप्त नवरात्रों में दशमहाविद्याओं की साधना कर ऋषि विश्वामित्र अद्भुत शक्तियों के स्वामी बन गए।   उनकी सिद्धियों की प्रबलता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने एक नई सृष्टि की रचना तक कर डाली थी। इसी तरह, लंकापति रावण के पुत्र मेघनाद ने अतुलनीय शक्तियां प्राप्त करने के लिए गुप्तनवरात्र में साधना की थी। शुक्राचार्य ने मेघनाद को परामर्श दिया था कि गुप्त नवरात्रों में अपनी कुल देवी निकुम्बाला कि साधना करके वह अजेय बनाने वाली शक्तियों का स्वामी बन सकता है। मेघनाद ने ऐसा ही किया और शक्तियां हासिल की।राम, रावण युद्ध के समय केवल मेघनाद ने ही भगवान राम सहित लक्ष्मण जी को नागपाश मे बांध कर मृत्यु के द्वार तक पहुंचा दिया था। ऐसी मान्यता है कि यदि नास्तिक भी परिहासवश इस समय मंत्र साधना कर ले तो उसका भी फल सफलता के रूप में अवश्य ही मिलता है। यही इस गुप्त नवरात्र की महिमा है। यदि आप मंत्र साधना, शक्ति साधना करना चाहते हैं और काम-काज की उलझनों के कारण  साधना के नियमों का पालन नहीं कर पाते तो यह समय आपके लिए माता की कृपा ले कर आता है।गुप्त नवरात्रों में साधना के लिए आवश्यक न्यूनतम नियमों का पालन करते हुए मां शक्ति की मंत्र साधना कीजिए। गुप्त नवरात्र की साधना सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।  गुप्त नवरात्र के बारे में यह कहा जाता है कि इस कालखंड में की गई साधना निश्चित ही फलवती होती है।हां, इस समय की जाने वाली साधना की गुप्त बनाए रखना बहुत आवश्यक है। अपना मंत्र और देवी का स्वरुप गुप्त बनाए रखें। गुप्त नवरात्र में शक्ति साधना का संपादन आसानी से घर में ही किया जा सकता है। इस महाविद्याओं की साधना के लिए यह सबसे अच्छा समय होता है।गुप्त व चामत्कारिक शक्तियां प्राप्त करने का यह श्रेष्ठ अवसर होता है। धार्मिक दृष्टि से हम सभी जानते हैं कि नवरात्र देवीस्मरण से शक्ति साधना की शुभ घड़ी है। दरअसल, इस शक्ति साधना के पीछे छुपा व्यावहारिक पक्ष यह है कि नवरात्र का समय मौसम के बदलाव का होता है। आयुर्वेद के मुताबिक इस बदलाव से जहां शरीर में वात, पित्त, कफ में दोष पैदाहोते हैं, वहीं बाहरी वातावरण में रोगाणु। जो अनेक बीमारियों का कारण बनते हैं। सुखी-स्वस्थ जीवन के लिये इनसे बचाव बहुत जरूरी है।  नवरात्र के विशेष काल में देवी उपासना के माध्यम से खान-पान, रहन-सहन और देव स्मरण में अपनाने गए संयम और अनुशासन तन व मन को शक्ति और ऊर्जा देते हैं। जिससे इंसान निरोगी होकर लंबी आयु और सुख प्राप्त करता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार गुप्त नवरात्र में प्रमुख रूप से भगवान शंकर व देवी शक्ति की आराधना की जाती है। देवी दुर्गा शक्ति का साक्षात स्वरूप है। दुर्गा शक्ति में दमन का भाव भी जुड़ा है। यह दमन या अंत होता है शत्रु रूपी दुर्गुण, दुर्जनता, दोष, रोग या विकारों का। ये सभी जीवन में अड़चनें पैदा कर सुख-चैन छीन लेते हैं। यही कारण है कि देवी दुर्गा के कुछ खास और शक्तिशाली मंत्रों का देवी उपासना केविशेष काल में जाप शत्रु, रोग, दरिद्रता रूपी भय बाधा का नाश करने वाला माना गया है।  सभी’नवरात्र’शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा सेलेकर नवमी तक किए जाने वाले पूजन, जाप और उपवास का प्रतीक है- ‘नव शक्ति समायुक्तां नवरात्रं तदुच्यते’। देवी पुराण के अनुसार एक वर्ष में चार माह नवरात्र के लिए निश्चित हैं। नवरात्र के नौ दिनों तक समूचा परिवेश श्रद्धा व भक्ति, संगीत के रंग से सराबोर हो उठता है। धार्मिक आस्था के साथ नवरात्र भक्तों को एकता, सौहार्द, भाईचारे के सूत्रमें बांधकर उनमें सद्भावना पैदा करता है।महत्त्वशाक्तग्रंथो में गुप्त नवरात्रों का बड़ा ही माहात्म्य गाया गया है।  मानव के समस्त रोग-दोष व कष्टों के निवारण के लिए गुप्त नवरात्र से बढ़कर कोई साधनाकाल नहीं हैं। श्री, वर्चस्व, आयु, आरोग्य और धन प्राप्ति के साथ ही शत्रु संहार के लिए गुप्त नवरात्र में अनेक प्रकार के अनुष्ठान व व्रत-उपवास के विधान शास्त्रों में मिलते हैं। इन अनुष्ठानों के प्रभाव से मानव को सहज ही सुख व अक्षय ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। ‘दुर्गावरिवस्या’ नामक ग्रंथ में स्पष्ट लिखा है कि साल में दो बार आने वाले गुप्त नवरात्रों में माघ में पड़ने वाले गुप्त नवरात्र मानव को न केवल आध्यात्मिक बल ही प्रदान करते हैं, बल्कि इन दिनों में संयम-नियम व श्रद्धा के साथ माता दुर्गा की उपासना करने वाले व्यक्ति को अनेक सुख व साम्राज्य भी प्राप्त होते हैं। ‘शिवसंहिता’ के अनुसार ये नवरात्र भगवान शंकर और आदिशक्ति मां पार्वती की उपासना के लिए भी श्रेष्ठ हैं। गुप्त नवरात्रों के साधनाकाल में मां शक्ति काजप, तप, ध्यान करने से जीवन में आ रही सभी बाधाएं नष्ट होने लगती हैं।

जय माँ 

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