Sunday, 12 June 2016

*यजुर्वेद १२-३९ (12-39)* _पुन॑रा॒सद्य॒ सद॑नम॒पश्च॑ पृथि॒वीम॑ग्ने । शेषे॑ मा॒तुर्यथो॒पस्थे॒ न्तर॑स्या शि॒वत॑मः॥_

*भावार्थ:-*
पुत्रों को चाहिये कि जैसे माता अपने पुत्रों को सुख देती है, वैसे ही अनुकूल सेवा से अपनी माताओं को निरन्तर आनन्दित करें और माता-पिता के साथ विरोध कभी न करें और माता-पिता को भी चाहिये कि अपने पुत्रों को अधर्म और कुशिक्षा से युक्त कभी न करें।।

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