Monday, 25 April 2016

तिरूपति बालाजी से जुड़ी रहस्यकथा

तिरूपति बालाजी से जुड़ी इन रहस्यकथाओं को

भारत के प्राचीनतम मंदिरों में एक भगवान तिरूपति के मंदिर को सात पहाड़ियों का मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर में भगवान विष्णु जिन्हें दक्षिण में श्रीनिवास या बालाजी या वेंकटाचालपैथी कहा जाता है, की आराधना की जाती है। इस मंदिर के बारे में कई दंत कथाएं तथा रहस्यकथाएं प्रचलित हैं। आइए जानते हैं तिरूपति मंदिर से जुड़ी कुछ रहस्यमयी बातें-

तिरूपति मंदिर के मुख्य गर्भगृह तक जाने की अनुमति कुछ ही लोगों को है। मंदिर से लगभग 23 किलोमीटर दूर एक गांव है। केवल इस गांव के निवासी ही मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कर सकते हैं तथा इसी गांव से भगवान के लिए फल, फूल, प्रसाद, भोग आदि आता है।

प्रतिमा के पीछे का हिस्सा सदैव नम रहता है। अगर यहां पर ध्यान लगाकर आवाज सुनी जाएं तो सागर में उठती लहरों की आवाज स्पष्ट रूप से सुनाई देती हैं।

भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा का तापमान सदैव 110 फारेनहाईट रहता है, जबकि प्रतिमा को यथासमय स्नान, चंदन लेप आदि किया जाता है। यही नहीं प्रतिमा को पसीना भी आता है, जिसे पुजारी समय-समय पर पौंछते रहते हैं।

भगवान की प्रतिमा पर चढ़ाएं गए सभी फूलों तथा तुलसी पत्रों को भक्तों में नहीं बांटकर मंदिर परिसर के पीछे बने एक कुएं में फेंक दिया जाता है। यही नहीं, इन पुष्पों तथा तुलसी के पत्तों को वापस मुड़कर देखा भी नहीं जाता है।

स्वामी वेंकटेश्वर भगवान को पचाई कर्पूरम चढ़ाया जाता है जो किसी साधारण पत्थर पर चढ़ाने पर तुरंत ही चटक जाता है लेकिन प्रतिमा पर इसका कोई असर नहीं होता है।

मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की प्रतिमा पर लगे हुए बाल असली है। कहा जाता है कि ये बाल बहुत ही मुलायम है तथा कभी उलझते या झड़ते नहीं हैं।

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