उज्जैनका अर्थ है विजय की नगरी और यहमध्य प्रदेशकी पश्चिमी सीमा पर स्थित है।इंदौरसे इसकीदूरी लगभग 55 किलोमीटर है। यहक्षिप्रा नदीके तट पर बसा है। उज्जैनभारतके पवित्र एवं धार्मिक स्थलों में से एक है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शून्य अंश (डिग्री) उज्जैन से शुरू होता है।महाभारतके अरण्य पर्व के अनुसार उज्जैन 7 पवित्र मोक्ष पुरी यासप्त पुरीमें से एक है। उज्जैन के अतिरिक्त शेष हैंअयोध्या,मथुरा,हरिद्वार,काशी,कांचीपुरमऔरद्वारका। कहते हैं की भगवानशिवने त्रिपुरा राक्षस का वध उज्जैन में ही किया था।[4]कुम्भ का अर्थकुम्भ का शाब्दिक अर्थ कलश होता है। कुम्भ का पर्याय पवित्र कलश से होता है। इस कलश काहिन्दूसभ्यता में विशेष महत्व है। कलश के मुख को भगवानविष्णु, गर्दन कोरुद्र, आधार को ब्रह्मा, बीच के भाग को समस्त देवियों और अंदरकेजलको संपूर्णसागरका प्रतीकमाना जाता है। यह चारोंवेदोंकासंगम है। इस तरह कुम्भ का अर्थ पूर्णतः औचित्य पूर्ण है। वास्तव में कुम्भ हमारी सभ्यता का संगम है। यह आत्म जाग्रति का प्रतीक है। यह मानवता का अनंत प्रवाह है। यह प्रकृति और मानवता का संगम है। कुम्भऊर्जाका स्त्रोत है। कुम्भ मानव-जातिको पाप, पुण्य और प्रकाश, अंधकार का एहसास कराता है। नदी जीवन रूपी जल के अनंत प्रवाह को दर्शाती है।मानव शरीरपंचतत्वों से निर्मित है यह तत्व हैं-अग्नि, वायु,जल,पृथ्वीऔरआकाश।
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